Sunday, July 28, 2013



हसरत जयपुरी साहब ने एक ज़बरदस्त गीत लिखा था फिल्म "कन्यादान" के लिए - "मेरी ज़िंदगी में आते तो कुच्छ और बात होती"
उसे थोड़ा सा बदल दिया मैंने देश की राजनीति को देख कर- गौर कीजिए

तुम पैदा न जो होते
तो कुछ और बात होती (2)
न ही देश यूँ बिगड़ता
जनता न यूँ तो रोती--------
कई बार मिल चुके हम
जब जब चुनाव आया
कुर्सी के मिलते ही तो
हमें अंगूठा दिखाया
कोई "द्रोण" मिल जो जाता
तो कुछ और बात होती(2)
तुम्हे आईना दिखाता
तो कुछ और बात होती(2)------
यह दुआ करूँ मैं निश-दिन
तुझे ऐसी मौत आए
तू तड़पता ही रहे पर
तेरी जान जा न पाए
तू जो भूत बन ही जाता
तो कुछ और बात होती(2)
बोतल में क़ैद करता
तो कुछ और बात होती(2)------

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