अपना वादा निभाते हुए चुनाव पर एक पेरोडी प्रस्तुत करता हूँ- मूल गीत है फिल्म "प्रोफ़ेसर" का "खुली पलक में झूठा गुस्सा"
आया चुनाव तो वादे हज़ारों
होते न जो पूरे
हाय कॉंग्रेस पार्टी- इनकी राजनीति
होंठों पे मुस्कान की बिजली
दिल हैं ज़हर भरे
हाय कॉंग्रेस पार्टी- इनकी राजनीति-------1
जिस दिन से मिली आज़ादी
अपनी ही बिसात बिछा दी
चाहे नतीजा जो भी निकले
हर हाल में इनकी ही बाज़ी
हाँफ हाँफ कर मरे नहीं हम
सुधरी इनकी ज़िंदगी
हाय कॉंग्रेस पार्टी- इनकी राजनीति---2
हर बार दिखाए सपने
कहते रहे हम तेरे अपने
पर सच तो यह है भाई
हर बार दिए हैं सदमे
हमरे सर परे चढ़ के इन्होने
कद अपनी बढ़ा दी
हाय कॉंग्रेस पार्टी- इनकी राजनीति------3
बेंकों को किया सरकारी
और खूब किया केलेंकारी
लोन मेला- क़र्ज़ की माफी
कर बहुत बहादुरी मारी
अर्थ-शास्त्री बना व्यर्थ-शास्त्री
बेंकों को कंगाली दी
हाय कॉंग्रेस पार्टी- इनकी राजनीति-----4
कहते हैं सब है बराबर
पर करते हैं लोगों में अंतर
गौ माता से कोसों दूरी
अल्पसंख्यकों के धो लें यह पयर
वोट के लिए सुरक्षा देश की
ख़तरे में डाल दी
हाय कॉंग्रेस पार्टी- इनकी राजनीति----5
नारी का करे यह अपमान
और दुर्जनों का करें गुण गान
दूध दही न इनको भाए
फारेन लीकर से बढ़े शान
भाषा और संस्कारों का इन्होने
खाट खड़ी ही कर दी
हाय कॉंग्रेस पार्टी- इनकी राजनीति----6
क्या इनके अवगुण गाएँ
दास्तानें कितनी सुनाएँ
कोयलेको जितना भी घिस लें
सफेदी कहाँ से ले आएँ
जान लो अब इन मक्कारों को
बचाओ अपनी आज़ादी
हाय कॉंग्रेस पार्टी- इनकी राजनीति--------7
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