Sunday, July 28, 2013

mera yeh man kare pukar




एक बहुत ही रोमांटिक गीत बना था "दिल का भँवर करे पुकार" देव और नूतन की जोड़ी- गोल्डी का निर्देशन- हसरत के शब्द - एस डी का संगीत- रफ़ी की आवाज़ सब कुछ लाजवाब. पर जिन्हे इंसान से नहीं सिर्फ़ कुर्सी से प्यार है उनके गाये गीत का क्या हाल होगा ज़रा देखिए इस पेरोडी में

मेरा यह मन करे पुकार
सब का हक़ छिनो- सब का हक़ छिनो रे---
मुल्क़ अपनी "बपौती"
अपने पूरखों की "थाती"
लूट लूट हम तो खाएँगे
बोटी सारे नोच कर
सूखी हड्डी फेंक कर
जनता को चूना लगाएँगे
कोई क्या कर लेगा रे
सब का हक़ छिनो रे---
12 की थाली पेट भरे
बच्चा ज़हर खा मरे
हज़ारों की थाली हमारी
मुख जो तुमने खोला
कभी कुछ भी जो बोला
लाठी- गोली की है तय्यारी
बेहतर चूप रहना रे
सब का हक़ छिनो रे---
जन के लिए जनता द्वारा
जनता की ऐसी - तैसी
होती जो है वह डेमोक्रेसी
हम नेता तुम जनता
सब नसीब का लिखा
भाग में तुम्हारे है बेक़सि
सब तुम्हे सहना है रे
सब का हक़ छिनो रे---

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