मित्रो देश का दुर्भाग्य यह रहा है कि आज नेता शब्द एक गाली सी लगने लगा है- जब कि एक ज़माना वह था जब नेताजी शब्द आदर और सम्मान का द्योतक हुआ करता था. आख़िर राजनीति इतनी घृणित कर्म क्यों बन गया है- देखिए इस पेरोडी में मैंने क्या कहा है - मूल गीत है फिल्म "अनाड़ी" का
" जीना इसीका नाम है"----
किसी की भावना का कर ले तू व्यापार
मिले जो कोई मौका पीठ पे छुरा तू मार
न सोच पाप पून्य करता जा तू अत्याचार
राजनीति इसीका नाम है ----------------
माना यह कि अपने में हुनर नहीं
लेकिन हम दगा देने में कम नहीं
नमकहलाली क्या है यह न याद रख
नमकहरामी करके सफलता को ले चख
बिना चाबी का खोल तू नसीब का "लॉक"
राजनीति इसीका नाम है ----------------
किसका तू कभी न करना ऐतबार
और न करना किसी से कभी प्यार
यह प्यार जो है वह बनाए कमज़ोर
बिना क़सूर के बनाता है साधु को चोर
तू बन जा ऐसा कि पाए न कोई छोर
राजनीति इसीका नाम है ----------------
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