Tuesday, July 30, 2013



आप लोगों को याद होगा किशोर कुमार का एक हास्य गीत - "चरणदास को पीने की जो आदत न होती "- उसी गीत पर आधारित एक पेरोडी प्रस्तुत है- पर इस बार निशाना कोई नेता नहीं बल्कि जनता है जो पैसे ले कर अपने वोट बेचती है- ध्यान दें- - लल्लू की माँ- दरवाज़ा तो खोल - पहले नाम तो बोल - अरे मैं हूँ लल्लू का बाप - धनीराम- ले कर आया हूँ साथ में तोहफा का गोदाम - अच्च्छा नेता से रुपये ले कर लाए हो - जब तक उस हराम के पैसे के तोहफे नहीं फेंकोगे यह दरवाज़ा नहीं खुलेगा - अरे मैने कहाँ लिए नेता ने प्यार से दिया - जब तक नोट के बदले वोट देने की आदत नहीं छोड़ोगे दरवाज़ा बंद मिलेगा नोट के बदले वोट देने की जो आदत न होती -जो आदत न होती तो आज मेरे देश की हालत ऐसी न होती ओ जी ए जी -------- नोटों से प्यार किया -बुरा मेरे यार किया देश को बिगाड़ा - किया रे कबाड़ा नोटों की खुश्बू से बुद्धि जो न बिगड़ती तो आज मेरे देश की हालत ऐसी न होती ओ जी ए जी -------- आते ही इलेक्शन हथेली खुजाए धन ही लुभाए- कुछ न सुझाए नेता को देखते ही दुम हम हिलाए फिर पाँच साल तक करें हाय हाय देखो जी नोटों ने कैसा सत्यानाश किया कसाई के हाथ हमने गौ माता सौंप दिया कमीने नेताओं से जो उलफत न होती तो आज मेरे देश की हालत ऐसी न होती ओ जी ए जी -------- देश की सुरक्षा पड़ी ख़तरे में अपनी ही ग़लती से हम बखेडे में रुपये की कीमत गिर गयी कितनी कीमत वोट की रही पर है उतनी प्यार को भुला के हम बन गये दुश्मन हमें लूट कर नेता भरा जेब में धन देश की हमने जो सोची होती तो आज मेरे देश की हालत ऐसी न होती ओ जी ए जी -------- कहीं कुछ ग़लत लगा क्या आपको .? नेताओं को नहीं खुद को भी ज़िम्मेदार समझें हम देश की अव्यवस्था के लि

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