एक पीड़ादायक हास्य कथा
वार्षिक परीक्षा का परिणाम आ गया था - रिपोर्ट कार्ड ले कर बेटा जब घर पहुँचा तो पिता का दिमाग़ के पारा चढ़ गया . कहने लगे - नालयक शर्म नहीं आती तुझे हिन्दी में मात्र 12 अंक लिया है तूने . क्या करेगा बड़ा होने पर ?
बेटे ने कहा कंधे उचका कर - ओह डैड- कायकू हंगामा करेला है - तुम बस देखो हम जब बड़ा होएंगा न तो करोड़ों कमाएगा - नई कमाया तो अपुन के नाम का कुत्ता रख लेंगा तुम
पिता ने कहा - हे प्रभु - मैं हिन्दी साहित्य में शोध पत्र प्रस्तुत करके हिन्दी विद्वान कहलाता हू और मेरे घर में यह नालयक कैसे जन्म ले लिया. उन्होने बेटे से कहा - बता तो कैसे कमाएगा करोड़ों ?
बेटे ने कहा फिलम और सीरियल में डायलॉग लिखने का काम करेंगा ना अपुन . उधर ऐसा इच हिन्दी चलता जानता नहें क्या ?
क्या यह सच नहें है ?
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