Monday, November 11, 2013



समाज के 2 रंग 2 चेहरे 

पहला दृश्य

दरवाज़े पर घंटी बजती है - पत्नी जा कर दरवाज़ा खोलती है - पड़ोसी की पत्नी खड़ी है- कहती है बहन इन्हे तेज़ बुखार है ज़रा भाई साहब से कहना इन्हे डॉक्टर के पास ले जाएँ, बड़ी मेहरबानी होगी 
जवाब मिलता है क्या करें बहन इन्हे भी तेज़ सर दर्द है- बिस्तर से उतना मुश्किल है -वरना ज़रूर जाते यह - पड़ोसी के काम आना तो पहला धर्म है - फिर और कुछ कहे बिना दरवाज़ा बंद कर देती ह
भीतर आने पर पति पूछता है - कौन था भाई . पत्नी ने सारी बात बता दी- पति ने राहत की साँस ली - कहा अच्छा किया आज क्रिकेट का मेच जो देखना था - दोनों खुश ..

दूसरा दृश्य

दरवाज़े पर फिर घंटी बजती है - पत्नी जा कर दरवाज़ा खोलती है- सामने कामवाली बाई खड़ी है- कहती है मालकिन पता है सामने एक ट्रक पलट गया है साबून से लदा हुआ है . मालकिन कहती है एक मिनट रुक - भागती हुई अंदर आती है - पति से कहती है बंद करो यह क्रिकेट मेच - 2 - 4 खाली बोरियाँ लो और जाओ सामने ट्रक पलट गया है साबून का जितना ला सको ले आओ पुलिस आने से पहले - मैंने कामवाली बाई को रोक रखा है तुम्हारी मदद के लिए - इस बार भी दोनों खुश

समाज आजकल ऐसी ही खुशियाँ में मगन है - और फ़ुर्सत कहाँ है किसको

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