Monday, November 11, 2013



"राहु" ग्रसित एक है यहाँ "राहुल"
"शनि" के असर में है "सोनिया" 
"साढ़े साती " अब हो गयी है शुरू
काम न आएगा कोई कीमिया//

नाम से बतलाए जीत लूँ हर दिशा
पर सिर्फ़ उपर देख के भौंकता है
सर पर सफेद बाल का बोझ ले के
काली बिल्ली एक छींकता ही है //

कोई "मनहूस" तो कोई " ज़रायाम "
किस किस पे कहो मैं रखूं नज़र
बाप दादाओं ने किए पाप जो थे
अब वक़्त है उसका होगा असर //

बैल की जोड़ी थी कभी निशानी
खेती का तो सर्वनाश कर दिया
गाय बछड़ा फिर नया चिन्ह हुआ
गौ माता को काट व्यापार किया //

कटा हाथ अब हैं दिखाते यह
भीख माँगे बन कर दर दर
ऐसे कमीने हैं लोग यह सारे
पीछा न छोड़ेंगे भी मर कर //

अब तुमको ही कुछ करना है
गाँठ बाँध लो बात यह भाई
बकरा बनो न अब शेर बनो
सामने खड़ा देखो क्रूर कसाई //

No comments:

Post a Comment