कहा जाता है सही खान पान - रहन सहन और और नियमित दिनचर्या से ही व्यक्ति का तन और मन स्वस्थ रहता है- उसी प्रकार आदर्श राष्ट्र पुरुष - कुशल प्रशासक- मेहनती जनता और सही ताल मेल ही एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करता है - दुर्भाग्य से हमारे इन सभी चीज़ों का घोर अभाव है - नराधम राजनीतिक व्यापारी- भ्रष्ट प्रशासक- आलसी जनता और बिखरता समाज ने देश को बर्बाद कर दिया है - इस देश में कोई अगर मज़े में है तो वह है ग़लत नजेता और उनका साथदेनेवाले आतंकी इनमें तालमेल पर है यह पेरोडी - मूल गीत है फिल्म "एक फूल दो माली" का "ओ नन्हे से फरिश्ते"
ओ मौत के फरिश्ते - इतना हमें बता दे
किस किस से तेरे रिश्ते ,ओ मौत के फरिश्ते ---
बड़ा कमीना है रे तू -----
जाने तू आया है क्यों - धरती का बोझ बन कर
शैतानी में रहा है - दिल तेरा यह उलझ कर
तुझ को जो दे बढ़ावा - बतलाता न तू क्यों है
ओ मौत के फरिश्ते -----
बदबू भरा तू कीड़ा किसी और ही ज़मीन का (2)
किसने यहाँ बुलाया - मेहमान गाई तू किसका
शह देता है जो तुझको बतलाता न तू क्यों है
ओ मौत के फरिश्ते -----
बम के धमाके कराए - कभी ट्रेन - पूल उड़ाए
पकड़ा गया कभी जो दामाद बन तू जाए
तेरे ससुर कितने - बतलाता न तू क्यों है
ओ मौत के फरिश्ते -----
करे पैरवी तेरी जो इस देश में है काफ़ी
गद्दारी का नशा तू - पिलाया रे बनके साक़ी
मदहोश जो यहाँ पर - बतलाता न तू क्यों है
ओ मौत के फरिश्ते -----
ओ मौत के फरिश्ते - इतना हमें बता दे
किस किस से तेरे रिश्ते ,ओ मौत के फरिश्ते ---
बड़ा कमीना है रे तू -----
जाने तू आया है क्यों - धरती का बोझ बन कर
शैतानी में रहा है - दिल तेरा यह उलझ कर
तुझ को जो दे बढ़ावा - बतलाता न तू क्यों है
ओ मौत के फरिश्ते -----
बदबू भरा तू कीड़ा किसी और ही ज़मीन का (2)
किसने यहाँ बुलाया - मेहमान गाई तू किसका
शह देता है जो तुझको बतलाता न तू क्यों है
ओ मौत के फरिश्ते -----
बम के धमाके कराए - कभी ट्रेन - पूल उड़ाए
पकड़ा गया कभी जो दामाद बन तू जाए
तेरे ससुर कितने - बतलाता न तू क्यों है
ओ मौत के फरिश्ते -----
करे पैरवी तेरी जो इस देश में है काफ़ी
गद्दारी का नशा तू - पिलाया रे बनके साक़ी
मदहोश जो यहाँ पर - बतलाता न तू क्यों है
ओ मौत के फरिश्ते -----
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