Friday, September 20, 2013

नियम यह कहते हैं कि कल अर्थात 14 सितंबर के दिन "हिन्दी दिवस" है . बड़े ही धूम धाम से हर कार्यालय में सभाएँ आयोजित होंगीं - प्रतियोगिताएँ होंगी- फिर अगले वर्ष तक 364 दिन "अँग्रेज़ी दिवस" पूरी ईमानदारी से और "हिन्दी दिवस" बस काम निपटाने के लिए - तो इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है यह कविता आप सब के लिए --

यह लो रेभाई आ गया फिरसे 
हिन्दी का एक और श्राद्ध दिवस,
चलो सुनें भाषण साहबों की
क्यों कि आज है हिन्दी दिवस //------
बीत गये हैं वर्ष चौंसठ पर
हिन्दी आज भी लंगड़ी है ;
अँग्रेज़ी में जो बात करे यहाँ
हस्ती तो बस उसकी तगड़ी है,
हिन्दी के पक्ष बोले जो
कहे उसे बॉस चूप खामोश ,
चलो सुनें भाषण साहबों की
क्यों कि आज है हिन्दी दिवस //------
नियमों का अनुपालन करे वह
जो होता है कार्यालय प्रमुख,
पर सच्चाई तो यह है भाई
अँग्रेज़ी उसको देता है सुख;
तर्क यह देते हैं यह मूरख
बिन अँग्रेज़ी के मिले न यश
चलो सुनें भाषण साहबों की
क्यों कि आज है हिन्दी दिवस //------
एक समिति है संसद की
जिस पर है हिन्दी का जिम्मा,
है सत्य- वही बनाए हिन्दीका कीमा
हिन्दी देश में हो गयी है तहस नहस
चलो सुनें भाषण साहबों की
क्यों कि आज है हिन्दी दिवस //------
विदेशीनी का कर पद लेहन
नाज़ करे जहाँ नेता
देश भाषा का हाल बताओ
ऐसा न होता तो कैसा होता
भाड़ में जाए देश और भाषा
मेकले-पुत्र करते हैं उद्घोष
चलो सुनें भाषण साहबों की
क्यों कि आज है हिन्दी दिवस //------

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