एक विक्षुवध दिल की आवाज़ और एक निर्लज नेता का जवाब
(मूल स्रोत - तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ - फिल्म धूल का फूल)
तुझे सत्ता से हटाना मैं चाहता हूँ
सुधर जाए देश मेरा यही चाहता हूँ------
पंगा मुझसे भला क्यों लेते हो
बिल्ली बने वैष्णव यह क्या चाहते हो------
कच्चा चिट्ठा सबके आगे खोल कर
जनमत जगाऊँगा घर घर मैं जा कर
सोई जनता को मैं नींद से जगा कर(2)
मुखौटा तेरा मैं नोचना चाहता हूँ
सुधर जाए देश मेरा यही चाहता हूँ---------
हो न सीधी जो मैं कुत्ते की दुम हूँ
अपने ही स्वार्थ में मैं तो रे गुम हूँ
झोंपड़ी तू तो मैं वी आइ पी रूम हूँ(2)
हथेली पे सरसों क्यों उगाना चाहते हो
बिल्ली बने वैष्णव यह क्या चाहते हो------
भोली बन जनता सदा यूँ न रहेगी
तेरे ज़ुल्म की आँधी कब तक बहेगी
शमा सच्चाई की तो जलती रहेगी (2)
सोज़ बग़ावत की लगाना मैं चाहता हू
सुधर जाए देश मेरा यही चाहता हूँ---------
बासी कढ़ी में तू कैसे उबाल लाएगा
घुट घुट के एक दिन तू पागल बनेगा
मुझको हटाएगा तो यह कमाल होगा (2)
ख्वाब खुली आँख देखना चाहते हो
बिल्ली बने वैष्णव यह क्या चाहते हो------
मगरूर का सदा नीचा होता रे सर
सूरज भी डूबता है एक बार चढ़ कर
सैलाब आएगा रे बाँध को तोड़ कर(2)
डूबेगा तू मैं देखना यह चाहता हूँ
सुधर जाए देश मेरा यही चाहता हूँ---------
(मूल स्रोत - तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ - फिल्म धूल का फूल)
तुझे सत्ता से हटाना मैं चाहता हूँ
सुधर जाए देश मेरा यही चाहता हूँ------
पंगा मुझसे भला क्यों लेते हो
बिल्ली बने वैष्णव यह क्या चाहते हो------
कच्चा चिट्ठा सबके आगे खोल कर
जनमत जगाऊँगा घर घर मैं जा कर
सोई जनता को मैं नींद से जगा कर(2)
मुखौटा तेरा मैं नोचना चाहता हूँ
सुधर जाए देश मेरा यही चाहता हूँ---------
हो न सीधी जो मैं कुत्ते की दुम हूँ
अपने ही स्वार्थ में मैं तो रे गुम हूँ
झोंपड़ी तू तो मैं वी आइ पी रूम हूँ(2)
हथेली पे सरसों क्यों उगाना चाहते हो
बिल्ली बने वैष्णव यह क्या चाहते हो------
भोली बन जनता सदा यूँ न रहेगी
तेरे ज़ुल्म की आँधी कब तक बहेगी
शमा सच्चाई की तो जलती रहेगी (2)
सोज़ बग़ावत की लगाना मैं चाहता हू
सुधर जाए देश मेरा यही चाहता हूँ---------
बासी कढ़ी में तू कैसे उबाल लाएगा
घुट घुट के एक दिन तू पागल बनेगा
मुझको हटाएगा तो यह कमाल होगा (2)
ख्वाब खुली आँख देखना चाहते हो
बिल्ली बने वैष्णव यह क्या चाहते हो------
मगरूर का सदा नीचा होता रे सर
सूरज भी डूबता है एक बार चढ़ कर
सैलाब आएगा रे बाँध को तोड़ कर(2)
डूबेगा तू मैं देखना यह चाहता हूँ
सुधर जाए देश मेरा यही चाहता हूँ---------
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