इतने सालों में तो भाई हमने यह देखा कि देश में पीड़ित को और पीड़ा पहुँचाना और पीड़ा देनेवालों को राहत देना ही क़ानून का कर्तव्य बन चुका है - सुनी सुनाई बात के अलावा मैंने खुद भुगता भी है - तो क़ानून की शान में प्रस्तुत है एक पेरोडी ( मूल गीत फिल्म अंदाज़ का - ज़िंदगी एक सफ़र है सुहाना )
क़ानून का यह खेल पुराना
शरीफों को बदमाश बतलाना ---
पकड़ा जाए जब कोई पापी
लोग मचाते हैं शोर काफ़ी
वकील कहे इसको है बचाना
शरीफों को बदमाश बतलाना ---
जो होते हैं सीधे बंदे
पड़े उनपे क़ानूनी फंदे
पड़ता है हलाल उनको होना
शरीफों को बदमाश बतलाना ---
खुदसे हटाने को सबकी नज़र
वक़्त बिताते हैं साज़िश कर
काम इनका है मौज उड़ाना
शरीफों को बदमाश बतलाना ---
फिरंगियों के बनाए क़ानून
लग तो चुका है उसपे घून
इसे कब्र में है अब सुलाना
शरीफों को इंसाफ़ है दिलाना ------
कहाँ है इंसाफ़ और कहाँ क़ानून
जिसे देखो बजाये है अपनी धून
है इनको सबक़ सिखलाना
शरीफों को इंसाफ़ है दिलाना ------
क़ानून का यह खेल पुराना
शरीफों को बदमाश बतलाना ---
पकड़ा जाए जब कोई पापी
लोग मचाते हैं शोर काफ़ी
वकील कहे इसको है बचाना
शरीफों को बदमाश बतलाना ---
जो होते हैं सीधे बंदे
पड़े उनपे क़ानूनी फंदे
पड़ता है हलाल उनको होना
शरीफों को बदमाश बतलाना ---
खुदसे हटाने को सबकी नज़र
वक़्त बिताते हैं साज़िश कर
काम इनका है मौज उड़ाना
शरीफों को बदमाश बतलाना ---
फिरंगियों के बनाए क़ानून
लग तो चुका है उसपे घून
इसे कब्र में है अब सुलाना
शरीफों को इंसाफ़ है दिलाना ------
कहाँ है इंसाफ़ और कहाँ क़ानून
जिसे देखो बजाये है अपनी धून
है इनको सबक़ सिखलाना
शरीफों को इंसाफ़ है दिलाना ------
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