कुछ देर पहले देखा टी वी पर की गोरी मेम आज जा रही है विदेश में इलाज करवाने - एक गीत याद आ गया
चली कौन सी देश गुज़रिया तू सज धज के
चलिए उसे ऐसे गाते हैं अब
चली कौन सी देश ओ गोरी मेम तू यूँ संवर के
जाती हूँ मैं उस देश, जहाँ रखा काला धन भर के ----------
छलके तेरे चाटुकारों की आखियाँ
लिखना जा कर चिट्ठी पतिया
कुटिल और मनहूस हो -----
कुटिल और मनहूस मरेंगे रत दिन रो के
जाती हूँ मैं उस देश, जहाँ रखा काला धन भर के -----------
कितना खाने से पेट यह भरेगा
इतने धन से भला क्या होगा
आंते हैं शैतान की हो ---
आंते हैं शैतान की भरे न सब कुछ खा के
जाती हूँ मैं उस देश, जहाँ रखा काला धन भर के -----------
चली कौन सी देश गुज़रिया तू सज धज के
चलिए उसे ऐसे गाते हैं अब
चली कौन सी देश ओ गोरी मेम तू यूँ संवर के
जाती हूँ मैं उस देश, जहाँ रखा काला धन भर के ----------
छलके तेरे चाटुकारों की आखियाँ
लिखना जा कर चिट्ठी पतिया
कुटिल और मनहूस हो -----
कुटिल और मनहूस मरेंगे रत दिन रो के
जाती हूँ मैं उस देश, जहाँ रखा काला धन भर के -----------
कितना खाने से पेट यह भरेगा
इतने धन से भला क्या होगा
आंते हैं शैतान की हो ---
आंते हैं शैतान की भरे न सब कुछ खा के
जाती हूँ मैं उस देश, जहाँ रखा काला धन भर के -----------
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