Saturday, June 9, 2012

हाँ तो मित्रों, अपने एस.सी.मुद्गल जी थोडा रूठे हुए थे हमसे./ पर उन्हें मनाना भी हमें खूब आता है , मन्नू मामा पर एक पैरोडी लिख दो तो वह खुश/ तो आज बहुत दिनों के बाद एक पेरोडी डाल रहा हूँ ,उन सभी के लिए जिन्हें पैरोडी पसंद है./मूल गीत के मुखड़े को ज्यों का त्यों रखा है मैंने, इसलिए जानने में कोई परेशानी नहीं होगी आपको / तो मज़ा लीजिये मामा भांजे की कहानी का 

ओ दुनिया के रखवाले 
सुन दर्द भरे मेरे नाले , सुन दर्द भरे मेरे नाले ,----
धर्मन्याय की राह पे चलकर इज्ज़त मैंने कमाई
मामा की काली छाया से, देखो सब है गँवाई
हो गयी मेरी जग हँसाई
ओ ओ -- इज्ज़त की मेरी उठ गयी अर्थी अब तो नीर बहा ले
ओ दुनिया के रखवाले----
चूहे को खोजे ज्यों बिल्ली, मेढक सांप है खोजे
मामा से बचने को अब तो राह खोज रे भांजे
संकट से चाहे जुझे
ओ ओ - कर दया मुझ पे ओ मेरे दाता मैं हूँ तेरे हवाले
ओ दुनिया के रखवाले ---
आग बनी सावन की बरखा फूल बने अंगारे
नागन बन गयी रात सुहानी पत्थर बन गए तारे
मेरे देश को कोई बचा रे
ओ ओ -किस्मत फूटी , आस भी टूटी, मालिक इनको उठा ले
ओ दुनिया के रखवाले --
लोग दुखी हैं मामा सुखी, अक्ल पे पड़ गया पत्थर
देशभक्त सब रो रो मरे हैं, पापी के मुंह घी शक्कर
प्रभु कैसा है यह चक्कर
ओ ओ - आना होगा अब तो भगवन, तुझ बिन कौन संभाले
ओ दुनिया के रखवाले --

नोट- मित्र यह मयत्र मनोरंजन के लिए नहीं लिखा मैंने, यह मेरे मन की सच्ची भावनाएं हैं. इसका ध्यान रखें..

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