Saturday, June 9, 2012

तो भाइयों चलो एक और पैरोडी हो जाए / मन्नू मामा भी खुश उसका कोई जोडीदार मिल गया कहके / मूल गीत है शोले का - यह दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे 

यह शैतानी हम नहीं छोड़ेंगे 
सारा खून जनता का पी के ही छोड़ेंगे ----
तेरा मुंह - मेरा मुंह, तेरा पेट - मेरा पेट 
ऐसा है रिश्ता
लोग रोते हैं सारे , माल सब महंगा
अपनको तो सस्ता
डटके हम खायेंगे - शान से टायलेट जायेंगे
अपना यह रास्ता , यह शैतानी--------------
लोगों को आते हैं दो नज़र हम मगर
देखो दो नहीं
नीली पगड़ी बांधे हैं, कामिक्स* के हम पंडित है
हम सा कोई नहीं
३२ के लोग खाते हैं- ३५ के हम जाते हैं
ख़ास फर्क कोई नहीं , यह शैतानी-----------
अपनी तो चांदी है , जनता अपनी बांदी है
मुंह न खोलेगी
ऐसा ही चलता रहे, मलाई खाते रहें
मस्त यह ज़िन्दगी
पूण्य क्या - पाप क्या, माँ क्या- बाप क्या
मेडम की बंदगी , यह शैतानी --

* कामिक्स - कल हमारे छोटे भाई अरबिंद पाण्डेय जे एने एक बढ़िया बात कही- की मामा और मोंटी इकानोमिक्स नहीं हारर कामिक्स के पंडित है / वह बात बड़ी पसंद आयी मुझे इसलिए इस शब्द का प्रयोग किया..

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