दूसरी पेरोडी मोंटेक पर , मन है नहीं पर टिका हुआ है यह / मूल गीत है फिल्म अनमोल घड़ी का - क्या मिल गया भगवान्
क्या मिल गया भगवान् तुम्हे 'मोंटेक' बना के
शीशम की यह लकड़ी पे तुम्हे दीमक लगा के ,---
हम सोच रहे थे कभी खुशहाल हम होंगे
आजादी जो आयेगी तो हंस हंस के जीयेंगे
क्या क्या थी खबर तुम को न आयेगी दया भी
गद्दी दिया तुमने गधों को , देश डूबा के
शीशम की यह लकड़ी पे तुम्हे दीमक लगा के ,---
मोंटेक ही दुश्मन नहीं दुश्मन है मामा भी
जो सच के साथ हैं उन्हें न चैन कहीं भी
यह कैसी है सरकार तुम्हे देश में बोलो
कीचड लगाए माथे पे जो चन्दन कह के
शीशम की यह लकड़ी पे तुम्हे दीमक लगा के ,---
३२ का खर्चा जो करे कहलाये वह अमीर
टायलेट है लाखों की लेकिन कैसे यह फ़कीर
जो छीन के रोटी हमारी खाते ही रहते
टायलेट का खर्चा रहेगा वसूल वह करके
शीशम की यह लकड़ी पे तुम्हे दीमक लगा के ,---
क्या मिल गया भगवान् तुम्हे 'मोंटेक' बना के
शीशम की यह लकड़ी पे तुम्हे दीमक लगा के ,---
हम सोच रहे थे कभी खुशहाल हम होंगे
आजादी जो आयेगी तो हंस हंस के जीयेंगे
क्या क्या थी खबर तुम को न आयेगी दया भी
गद्दी दिया तुमने गधों को , देश डूबा के
शीशम की यह लकड़ी पे तुम्हे दीमक लगा के ,---
मोंटेक ही दुश्मन नहीं दुश्मन है मामा भी
जो सच के साथ हैं उन्हें न चैन कहीं भी
यह कैसी है सरकार तुम्हे देश में बोलो
कीचड लगाए माथे पे जो चन्दन कह के
शीशम की यह लकड़ी पे तुम्हे दीमक लगा के ,---
३२ का खर्चा जो करे कहलाये वह अमीर
टायलेट है लाखों की लेकिन कैसे यह फ़कीर
जो छीन के रोटी हमारी खाते ही रहते
टायलेट का खर्चा रहेगा वसूल वह करके
शीशम की यह लकड़ी पे तुम्हे दीमक लगा के ,---
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