Saturday, June 9, 2012

पैरोडी हो और मामा न हो, यह तो मामा की बेईज्ज़ती होगी न, तो आखरी न. मामा का है / पढ़िए



ऐ जनता जूते बरसाओ, मामा मनहूस आया है 

इसे मरघट पे पहुँचाओ, जी कर इसे करना ही क्या है,मामा मनहूस आया - ------

न दे जो साथ सच्चे का, तो फिर वह आदमी क्या है 

फैलाए ऐसी बर्बादी, उसके आगे सुनामी क्या है 

अगर मुखिया ऐसे हो देश में, तो गद्दार फिर क्या है , मामा मनहूस आया -------

मज़े लुटे हैं सब पापी, साधु अब जेल में सड़ते 

विदेशों में जमा है धन, जो सच्चे हैं वह अब कड़के 

हुकूमत जो इसे कहते , डकैती बोलो फिर क्या है , मामा मनहूस आया --------

उसूलों के हों जो पक्के, कभी तो वह नहीं झुकते 

ज़रा सी हो जो खुद्दारी,वह समझौते नहीं करते 

इसे जो आदमी मानो, नपुंसक बोलो फिर क्या है , मामा मनहूस आया ----

घोटाले पर घोटाले ही तो देखी इस हुकूमत में

अभी से हाल ऐसा हो, होगा फिर क्या क़यामत में 

बचेंगे कैसे पापी से बताओ रास्ता क्या है, मामा मनहूस आया है

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