मित्रों , आप सभी जानते ही हैं , सारा देश गर्मी से परेशान है / सुना है ग्रीष्म प्रवाह में कई मौत भी हो चुकी है / पर सरकार को क्या फर्क पड़ता है , कोई मरे या जिंदा रहे / उसी बात पर सोच रहा था , कि आखिर मन्नू मामा को इस देश से और यहाँ के लोगों से लगाव क्यों नहीं है / अचानक दिमाग की बत्ती जलने लगी, अरे भाई मामा तो पैदा पकिस्तान में हुआ था न, तो भारत तो उसकी जन्मभूमि नहीं है , तो उसे क्यों लगाव हो इस देश से / इसी तरह की बात को ले कर यह पैरोडी लिखी, मूल गीत है - जलते है जिसके लिए तेरे आँखों के दीये , तो पढ़िए
जलते हैं मामा प्यारे - देश के लोग सारे
चैन से बैठा है क्यों, मेडम के पैर पखारे //
चलो माना कि लोगोंने तो तुझे वोट न दिया
मेरे इस देश की मिटटीपे भी तू पैदा न हुआ
इसी लिए तो शायद देश का सोचा न रे , जलते ----
कैसे यह लोग कहे जाते तू है बड़ा ईमानदार
यह बता असम में कैसे हो गया तेरा घर द्वार
झूठी बातें कहते हुए शर्म तुझे आयी न रे , जलते --
तू घडा चिकना है तुझपे असर होगा नहीं
जानता हूँ मैं कि जीवनमें तू सुधरेगा नहीं
ऊपर जायेगा जब तू, क्या होगा सोचा क्या रे , जलते ---
जलते हैं मामा प्यारे - देश के लोग सारे
चैन से बैठा है क्यों, मेडम के पैर पखारे //
चलो माना कि लोगोंने तो तुझे वोट न दिया
मेरे इस देश की मिटटीपे भी तू पैदा न हुआ
इसी लिए तो शायद देश का सोचा न रे , जलते ----
कैसे यह लोग कहे जाते तू है बड़ा ईमानदार
यह बता असम में कैसे हो गया तेरा घर द्वार
झूठी बातें कहते हुए शर्म तुझे आयी न रे , जलते --
तू घडा चिकना है तुझपे असर होगा नहीं
जानता हूँ मैं कि जीवनमें तू सुधरेगा नहीं
ऊपर जायेगा जब तू, क्या होगा सोचा क्या रे , जलते ---
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