Wednesday, March 14, 2012

लूटा है जिन्होंने मुल्क को , बैठे हैं तोंद कर मोटी 
हम तरसते हैं लंगोटी को, पर वह उड़ाते हैं बोटी //
खून ही पी पी के हमारा , बन बैठे हैं वह हुक्मरान 
उनकी शान बड़ी न्यारी, हम खो बैठे हैं पहचान //
कैसी जनता कैसे नेता, समझ नहीं कुछ आता है
यूँ लगता है जैसे यह देश सीधे नरक में जाता है //
 

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